खुशख़बरी -खुशख़बरी....मैंने कल एक और milestone पा लिया... कल सुबह जब मम्मी ने पेट के बल मुझे लिटाया तो मैंने अपना सिर उठा कर देखा। फिर तो मम्मी खुश.. अब मैंने अपना सर संभालना सीख लिया है...अब तो आराम से सर उठा सकता हूँ और थोड़ा-थोडा़ इधर-उधर देख ही लेता हूँ ...
यह खुशी मैंने कल रात-भर जाग़ कर celebrate की... और पापा मम्मी को भी बारी-बारी मेरे साथ खेलना पडा़...
Sunday, August 31, 2008
Saturday, August 30, 2008
एसे लगाते है पाउडर
मम्मी मुझे नहलाकर मेरे कपडे़ लेने चली गई.. लेकिन पाउडर का डिब्बा पास ही छोड़ गई... मैने सोचा -
चलो मम्मी का हाथ बंटाते है,
आज पाउडर खुद ही लगाते है..
पाउडर एसे ही लगाते हैं न?
आज पाउडर खुद ही लगाते है..
बहुत कन्फ्युज़न है...
कल मैं पापा के और मम्मी के ऑफिस गया था.. पहले मम्मी मुझे लेकर पापा के ऑफिस गई.. जब मैं वहाँ पहुँचा तो गहरी नींद में था. मुझे एहसास हुआ कि सब मुझे सोता हुआ ही निहार रहे हैं. थोडी देर बाद मैं जाग गया. फिर सबसे मिला.. सभी मुझे देख कर बहुत खुश थे.. कह रहे थे कि मैं पापा जैसा लगता हूँ.. मुझे नहीं पता मैं तो केवल मुस्करा रहा था.. फिर हम (पापा, मम्मी और मैं) मम्मी की ऑफिस गये.. मम्मी का ऑफिस तो पापा के ऑफिस के पास ही है.. हम जल्दी ही वहाँ पहुँच गये...
मम्मी का ऑफिस बहुत बड़ा है.. पापा मुझे लेकर एक जगह बैठ गये और मम्मी अपना काम करने चली गई.. फिर सिलसिला शुरू हुआ मुझसे मिलने वालों का. पहले सब मुझे पापा की गोद में ही देख रहे थे.. पर जब मैंने प्रतिक्रिया देना शुरू किया तो सबमें मुझे गोद लेने की होड़ सी लग गई... एक-एक कर सभी की गोदी में गया.. और उन्हें टुकर-टुकर देखने लगा.. सबने मुझसे कुछ कुछ बात की.. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था पर वो कह रहे थे.. मैं Cute हूँ, वगैरह.. वगैरह... यानी यहाँ भी एक ही चर्चा थी.. मैं कैसा लगता हूँ.. यहाँ ज़्यादातर लोगों की राय थी कि मैं मम्मी जैसा लगता हूँ...
है न बहुत कन्फ्युज़न.. पता ही नहीं चल रहा मैं कैसा हूँ ?.. अरे थोड़ा इंतज़ारकर लें, थोड़ा बडा़ होकर मैं खुद ही बता दूंगा!
मम्मी का ऑफिस बहुत बड़ा है.. पापा मुझे लेकर एक जगह बैठ गये और मम्मी अपना काम करने चली गई.. फिर सिलसिला शुरू हुआ मुझसे मिलने वालों का. पहले सब मुझे पापा की गोद में ही देख रहे थे.. पर जब मैंने प्रतिक्रिया देना शुरू किया तो सबमें मुझे गोद लेने की होड़ सी लग गई... एक-एक कर सभी की गोदी में गया.. और उन्हें टुकर-टुकर देखने लगा.. सबने मुझसे कुछ कुछ बात की.. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था पर वो कह रहे थे.. मैं Cute हूँ, वगैरह.. वगैरह... यानी यहाँ भी एक ही चर्चा थी.. मैं कैसा लगता हूँ.. यहाँ ज़्यादातर लोगों की राय थी कि मैं मम्मी जैसा लगता हूँ...
है न बहुत कन्फ्युज़न.. पता ही नहीं चल रहा मैं कैसा हूँ ?.. अरे थोड़ा इंतज़ारकर लें, थोड़ा बडा़ होकर मैं खुद ही बता दूंगा!
Thursday, August 28, 2008
बछ बारस के बारे में सुना है ?
आज बछ बारस है। आपने कभी इसके बारे में सुना है ? मैंने तो आज ही सुना . सुबह-सुबह ही दादी का फोन आ गया.. और दादी ने मम्मी को कहा, "आज गाय और बछड़े की पूजा करनी है और आदि को भी तिलक लगा कर लड्डु खिलाना है। "
बछ बारस के पीछे कुछ दंत कथाएं है। ज़्यादा तो किसी को पता नहीं पर मधु मासी ने बताया कि किसी ने गलती से बछड़े की हत्या कर दी.. इससे गाय को बहुत दुख हुआ.. और तब से गाय बछड़े की पूजा करते हैं और चाक़ू को नहीं छूते। साथ ही सभी मातायें अपने बच्चों की पूजा कर सलामती की दुआ करती हैं. इसके बारे में और जानकारी पता लगा कर आपको विस्तार से कभी बताऊँगा ।
बछ बारस के पीछे कुछ दंत कथाएं है। ज़्यादा तो किसी को पता नहीं पर मधु मासी ने बताया कि किसी ने गलती से बछड़े की हत्या कर दी.. इससे गाय को बहुत दुख हुआ.. और तब से गाय बछड़े की पूजा करते हैं और चाक़ू को नहीं छूते। साथ ही सभी मातायें अपने बच्चों की पूजा कर सलामती की दुआ करती हैं. इसके बारे में और जानकारी पता लगा कर आपको विस्तार से कभी बताऊँगा ।
ख़ैर ! मेरी भी पूजा हुई (वो नहीं जो आप समझ रहे हैं).. तिलक लगा, लेकिन लड्डु नहीं मिला। मम्मी ने बस थोड़ी सी शहद से मुँह मिठा करा दिया.. कुछ तो नया टेस्ट करने को मिला..
आज तो मैं दिन में अधिकतर सोता रहा.. शायद दवा का असर था.. पर शाम को जम कर खेला.. और हाँ चूँकि आज शहद खाई थी तो शाम को ख़ूब जीभ निकाल कर दिखाई..
Wednesday, August 27, 2008
बबुआ मेक्स गया था..
उड़न तश्तरी अंकल ने मुझे बबुआ कहा इसलिए मैं आज आदि से बबुआ हो गया..
उन्होंने कहा कि आदि को हल्का-सा वायरल है.. उसके लिए पीने की एक दवा दी.. और कहा कि सिर पर तेल मालिश नहीं करनी है.. और कुछ दिन बाद एक दवा सिर पर लगानी है... डॉक्टर अंकल को धन्यवाद कह कर बबुआ घर आ गया..
तो बबुआ आज शाम को मेक्स अस्पताल गया था चैक अप के लिए..
बबुआ ने वहाँ बहुत अच्छे से जाँच करवाई.. पहले तो मेरी लम्बाई नापी गई.. जन्म के बाद पहली बार.. मेरी लम्बाई हो गई है पूरे 63.8 सेमी..
उन्होंने वज़न भी फिर से किया.. मैं तो यह सब करवाने में बहुत expert हूँ, आराम से करवा दिया.. वज़न था 6.4 किलोग्राम.
फिर वक्त आया डॉक्टर से मिलने का.. डॉक्टर अंकल ने अच्छे से जाँच की.. आँख, कान और पैर भी जाँचा... सभी ठीक था..डॉक्टर अंकल से आराम से बात की, पूरा समय दिया और सभी बातों को अच्छे से समझाया... और सारे सवालों के जवाब दिये..
उन्होंने कहा कि आदि को हल्का-सा वायरल है.. उसके लिए पीने की एक दवा दी.. और कहा कि सिर पर तेल मालिश नहीं करनी है.. और कुछ दिन बाद एक दवा सिर पर लगानी है... डॉक्टर अंकल को धन्यवाद कह कर बबुआ घर आ गया..
Tuesday, August 26, 2008
रात बहुत मुश्किल से कटी..
कल आदि को टीका लगा था... Thigh में सुई लगने पर काफ़ी दर्द हुआ.... दिन-भर मैंने किसी को भी अपना पैर नहीं छूने दिया..ना ही खुद अपना पैर ही हिलाया। दिन-भर तो मम्मी-पापा ने इसे सामान्य समझा . पर रात में पाँव में सूजन देख पापा चिंतित हो गये.. क्योंकि ऎसा तो पहले कभी नहीं हुआ था.. मैं बहुत सुस्त हो चुका था.. मम्मी ने एक दो-बार दवा पिलाई पर कुछ ख़ास असर नहीं हुआ तो पापा ने श्रीधर अंकल से फो़न पर बात की। उन्होंने बताया कि रात-भर ध्यान रखें और सुबह तक ठीक नहीं हो तो डॉक्टर को दिखायें.. पापा-मम्मी रात-भर मेरा ध्यान रखते रहे...
सुबह को उठा तो आराम था। पाँव की सूजन भी बहुत कम हो गई थी.. और मैंने पाँव हिलाना शुरू कर दिया.. पापा - मम्मी ने राहत की साँस ली.. धीरे-धीरे मैं बिल्कुल ठीक हो गया और मस्ती फिर से चालू...
पर पापा चाहते थे कि एक बार आदि को डॉक्टर को दिखा दें.. शाम को हॉस्पिटल गये पर डॉक्टर नहीं मिले.. हमे बिना दिखाये ही घर आना पड़ा। उन्होंने डॉक्टर से पूछने के लिए 5 सवालों की लिस्ट बनाई थी.. आप भी देख लें :१. आदि को हल्का जुकाम है उसके लिये दवा ?
२. आदि का वज़न ठीक से बढ़ रहा है क्या ?
३. आदि की feeding के लिए सलाह
४. Thigh को जाँचना जहाँ कल टीका लगा था
५. और कोई टीके लगाने हैं तो वो कौन-से हैं ?
अब मैं बिल्कुल ठीक हूँ, शाम को बहुत खेला.. आप चिन्ता नहीं करना...
Monday, August 25, 2008
दो बूँद ज़िंदगी की
आज तो मम्मी ने सुबह-सुबह ही नहला दिया.. कुछ समझ नहीं आया.. इतनी जल्दी क्यों ? अभी तो पापा ऑफ़ीस भी नहीं गये थे... फिर पापा और आदि साथ-साथ क्यों तैयार हो रहे थे ? थोड़ी देर में पता चला कि पापा-मम्मी आदि को लेकर बाहर जा रहे थे.. पर मुझे पता नहीं था कि यह कोई खुश होने की बात नहीं थी।
आदि को फिर से हॉस्पिटल ले जाया जा रहा था.. आज आदि को टीका लगना था.. मतलब फिर से सुई उईईईई...
आदि को फिर से हॉस्पिटल ले जाया जा रहा था.. आज आदि को टीका लगना था.. मतलब फिर से सुई उईईईई...
पहले तो मेरा वज़न लिया गया, इस बार वज़न था 6.3 kg . पिछले एक महीने में आधा किलो वज़न बढा.. ठीक है न!
आख़िर वह पल आया.. नर्स दीदी इंजेक्शन तैयार कर रही थी.. उफ़ ! फिर से.. मैं पापा की गोदी में दुबक गया और दीदी ने सुई मेरे thigh में लगा दी.. मैं रो पड़ा.. बहुत दर्द हुआ सच में....तब मम्मी ने मुझे गोद ले लिया और चुप कराने कोशीश की... थोड़ी देर में मैं चुप हुआ.. अब नर्स दीदी ने मुझे मीठी दवा पिलाई... इसे ही कहते है...दो बूँद ज़िन्दगी की... इन सब के बाद मेरे टिकाकरण का यह चरण तो पूरा हुआ... अगला टीका तो 5 महीने बाद लगेगा.
लेकिन आज मेरे पाँव में बहुत दर्द है.. मैं बहुत परेशान हूँ.. चिन्ता नहीं करना मैं जल्द ही ठीक हो जाऊँगा ...
आरुशी दीदी कान्हा बनी थी.
कल हम आरुशी दीदी से मिलने गये.. दीदी मुझसे थोड़ी ही बड़ी है.. केवल ३-४ महीने.. मुझे देख कर दीदी बहुत खुश हो गई.. प्यारा सा छोटा भैय्या जो मिलने आया था..
कल जन्माष्टमी थी.. दीदी ने बहुत सुन्दर कपडे़ पहने और मोर मुकुट भी लगाया, बिल्कुल कान्हा जैसे.. देखो कितनी सुन्दर लग रही है दीदी..
अब आपको दुसरी बात बताता हुँ.. दीदी अपना मुकट खोल कर मेरे साथ खेलने लगी..
हम दोनों बहुत अच्छे से खेल रहे थे..
फिर अचानक दीदी ने मेरा शर्ट पकड़ लिया
मुझे गुस्सा आया, मैनें भी दीदी का कुर्ता पकड़ लिया...
फिर तो दीदी बहुत रोई .. बहुत देर तक चुप ही नहीं हुई.... सॉरी दीदी.. पर मेरी कोई गलती नहीं थी..
कल जन्माष्टमी थी.. दीदी ने बहुत सुन्दर कपडे़ पहने और मोर मुकुट भी लगाया, बिल्कुल कान्हा जैसे.. देखो कितनी सुन्दर लग रही है दीदी..
अब आपको दुसरी बात बताता हुँ.. दीदी अपना मुकट खोल कर मेरे साथ खेलने लगी..
हम दोनों बहुत अच्छे से खेल रहे थे..
फिर अचानक दीदी ने मेरा शर्ट पकड़ लिया
मुझे गुस्सा आया, मैनें भी दीदी का कुर्ता पकड़ लिया...
फिर तो दीदी बहुत रोई .. बहुत देर तक चुप ही नहीं हुई.... सॉरी दीदी.. पर मेरी कोई गलती नहीं थी..
Friday, August 22, 2008
ये तो मेरी बहना के लिये है !
बात राखी के दिन कि है.. देखो - देखो अर्पित चाचा मेरी चोकलेट ले जा रहे थे कि तीसरी आँख से पकड़े गये.. अरे कोई उन्हे बाताओ कि ये चोकलेट तो मै मेरी बहनों और भुआओं के लिये लाया हुँ,
Wednesday, August 20, 2008
लम्बी छुट्टियाँ
बहुत दिनों से आपको आदि की कोई खब़र नहीं मिली। आप सोच रहे होंगे कि आदि कहाँ ग़ायब हो गया .. अरे मैं कहीं ग़ायब-वायब नहीं हुआ, मैं तो पापा ,मम्मी और चाचा को लेकर नाथद्वारा गया हुआ था..
हम गुरुवार १४ अगस्त को दिल्ली से चले, जाना तो ट्रेन से था पर क्या करें टिकट ही confirm नहीं हुआ.. पापा-मम्मी बहुत चिन्ता में आ गये... बहुत दुविधा थी .. दुविधा इसलिए कि पिंकु चाचा कह रहे थे कि कार से चलते हैं . पर पापा मम्मी तय नहीं कर पा रहे थे... ख़ैर ! थोडे़ सोच-विचार के बाद तय किया कि हम सभी कार से ही जायेंगे... क्योंकि जाना बहुत ज़रूरी था । सभी परिवारजन आदि से मिलने आने वाले थे। कुछ ही देर बाद चाचा अपनी नई कार के साथ आ गये.. और समान रख हम नाथद्वारा की और रवाना हो गये। समय हुआ था शाम के करीब ६.३०.. शुरू में तो मैं काफ़ी परेशान हुआ। क्यों न होता ! गाड़ी चल ही नहीं रही थी... ३ घण्टे तो हमें गुड़गाँव पार करने में ही लग गये। इसके बाद तो गाड़ी सर्राटे से चलने लगी... मम्मी मे मुझे पिछली सीट पर सुला दिया..रात-भर चलने के बाद सुबह -सुबह हम नाथद्वारा पहुँचे । ढेर सारे लोग मेरा इंतज़ार कर रहे थे, देख कर ख़ुशी हुई। यह एक "परिवारिक सम्मेलन" था... सभी परिजन वहाँ थे..बहुत सारे चाचा और बुआ जी भी आई थीं ..
नाथद्वारा में मुझे "best kid" का अवार्ड भी मिला... हूँ न मैं अच्छा बच्चा ?
हम रबिवार की दोपहर वापस दिल्ली के लिए निकल पडे़। इस बार तो हमारे साथ चंदु बड़ी मामी भी थी.. हम सोमवार को सुबह दिल्ली पहुँचे ...बहुत चले क़रीब १३०० किमी.. पर बहुत मजा़ आया..
Thursday, August 14, 2008
मेरी राखी आई है, आपकी आई क्या?
आपको पता है, १६ अगस्त को राखी का त्यौहार है, मुझे तो आज ही मेरी राखी मिल गई। प्राची दीदी ने भेजी है मुंबई से.. अब मैं राखी के दिन ठाठ से कलाई पर राखी बाधूंगा । कुमकुम भी लगाऊँगा। पर दीदी आपने जो मुँह मीठा करने के लिए चीनी भेजी है न , मैं अभी उसे नहीं खा सकता, "Exclusive Breastfeeding" पर हूँ न !
दीदी ने राखी के साथ एक चिट्ठी भी भेजी है, बहुत प्यारी लिखी है.. विश्वास नहीं हो रहा ! आप ही खुद पढ़ लें :
दीदी ने राखी के साथ एक चिट्ठी भी भेजी है, बहुत प्यारी लिखी है.. विश्वास नहीं हो रहा ! आप ही खुद पढ़ लें :
Wednesday, August 13, 2008
रो-रो कर बुलाता हूँ..
रो-रो कर बुलाता हूँ..
गहरी नींद से आँखें खुलने पर,
जब पास किसी को नहीं पाता हूँ.
पापा-मम्मी को तब मैं,
रो-रो कर बुलाता हूँ..
भूख सताती है जब मुझको,
मम्मी समझ नहीं पाती हैं ,
याद दिलाने मम्मी को मैं,
रो-रो कर बुलाता हूँ..
सू - सू कर के बिस्तर पर,
गीले में सो नहीं पाता हूँ.
कपड़े बदलने की फ़रियाद मैं
रो-रो कर लगाता हूँ..
जब व्यस्त हो जाते हैं सब,
अकेला "बोर" हो जाता हूँ.
बात करने के लिए सबको मैं
रो-रो कर बुलाता हूँ..
Friday, August 8, 2008
बचपन में भी बाल झड़ते हैं क्या ??
जब मेरा जन्म हुआ तो मेरे सिर पर बहुत सारे बाल थे। सब लोग बातें कर रहे थे कि आदि के सर पर तो बहुत बाल है. मिशा दीदी, क्षितिज चाचा के तो बिल्कुल बाल नहीं थे. मुझे तो पता नहीं पर शायद हुआ होगा ऎसा, अगर सब कह रहे हैं तो ।
पर इन दिनों मैं तो बहुत परेशान हूँ, मेरे बाल तो अभी से झड़ रहे है। धीरे-धीरे तो बिल्कुल खत्म हो जायेगें ना! फिर स्कुल में सब मुझे पता नहीं क्या क्या कहेंगे ? और तो और मेरे सिर की चमड़ी भी उतर रही है, बहुत खुजली आती है और में परेशान रहता हूँ, जब भी मौक़ा मिलता अच्छे से सिर खुजा लेता हूँ, एक - दो बार तो खरोंच भी लगा चुका हुँ। इस चक्कर में बहुत बार नाखुन भी कट गये.. शायद इसलिए बोलते होगें "खुदा गंजे को......." ख़ैर ! मम्मी हैं तो ज़्यादा चिन्ता नहीं है, प्यार से मेरे सिर को सहलाती हैं, और नारियल का तेल भी लगाती हैं, मुझे आराम मिलता है..
पर इन झड़ते बालों का क्या करुँ ? कोई इलाज/ दवा/नुस्खा है आपके पास ? कभी अपनाया हो ? please बताओ न!
पर इन दिनों मैं तो बहुत परेशान हूँ, मेरे बाल तो अभी से झड़ रहे है। धीरे-धीरे तो बिल्कुल खत्म हो जायेगें ना! फिर स्कुल में सब मुझे पता नहीं क्या क्या कहेंगे ? और तो और मेरे सिर की चमड़ी भी उतर रही है, बहुत खुजली आती है और में परेशान रहता हूँ, जब भी मौक़ा मिलता अच्छे से सिर खुजा लेता हूँ, एक - दो बार तो खरोंच भी लगा चुका हुँ। इस चक्कर में बहुत बार नाखुन भी कट गये.. शायद इसलिए बोलते होगें "खुदा गंजे को......." ख़ैर ! मम्मी हैं तो ज़्यादा चिन्ता नहीं है, प्यार से मेरे सिर को सहलाती हैं, और नारियल का तेल भी लगाती हैं, मुझे आराम मिलता है..
पर इन झड़ते बालों का क्या करुँ ? कोई इलाज/ दवा/नुस्खा है आपके पास ? कभी अपनाया हो ? please बताओ न!
Thursday, August 7, 2008
आदित्य - ब्लॉगर बज़ में
flygye अंकल ने बताया की आदि ब्लॉगर बज़ में feature हुआ है। मुझे तो पता नहीं पर अंकल तो ठीक ही बता रहे होगें। आप ख़ुद ही देख लो। बीच में मैं ही हुँ ना ?
thank you blogger buzz टीम..
thank you blogger buzz टीम..
Wednesday, August 6, 2008
एक दिन मम्मी का बेटा, एक दिन पापा का
पड़ गये न चक्कर में ! पूरी बात बताता हूँ। यह कुछ दिनों पहले की बात है.. मम्मी रोज़ मुझे नहला कर मेरी आँखों में काजल लगाती थी.. पापा ने मम्मी से कहा : "आदि प्यारा बच्चा है, इसकी आँखों मे काजल नहीं लगाना चाहिये".. दोनों के अपने अपने तर्क थे। पापा कहते है .. काजल लगाने से आँखें ख़राब हो सकती है.. इसकी ज़रुरत नहीं हैं.. पर मम्मी कहती हैं इससे आँखें साफ़ रहती हैं और मैं सुन्दर लगता हूँ, इसलिए काजल लगाना चाहिये..दोनों की बात का कोई नतीजा नहीं निकला..हाँ ! इतना अवश्य हुआ कि उसके बाद मम्मी एक दिन छोड़ कर काजल लगाती है। और कहती है "आदि एक दिन मम्मी का बेटा, एक दिन पापा का बेटा :-) "
Tuesday, August 5, 2008
लॉन्ग ड्राईव जायेंगे...
लॉन्ग ड्राईव तो गये, पर फुल स्पीड से नहीं । क्या करें , पापा गाडी धीरे-धीरे ही चला रहे थे। अब आप यह तो सुन लें कि हम गये कहाँ थे ? हम सब गये थे गुडगाँव के मेट्रोपॉलिटन मॉल ।
परी दीदी का कल जन्म दिन था। हाँ ! पापा का जन्म दिन भी तो कल ही था.. हम सब वहीं मिले.. ताऊ, ताई और परी दीदी..
मैं तो दोपहर में ही सो लिया था, ताकि शाम में अच्छे से घूम सकूं.. आख़िर इतने बड़े मॉल में पहली बार जा रहा था भाई...
गाड़ी से उतरकर मैं तो अपनी गाड़ी (pram) में सवार हो गया, पापा को तो अपनी गाड़ी पार्किंग में रखनी पड़ी पर मेरी गाड़ी तो सभी जगह पर गई। हम लिफ़्ट से मॉल के अन्दर गये.. बहुत बड़ी जगह है.. मैं तो टुकर- टुकर सबको आश्चर्य से देख रहा था, आने-जाने वाले लोग भी मुझे देखकर smile कर रहे थे.. थोड़ी देर तक हम घूमते रहे.. फिर तो परी दीदी आ गई। उन्हें बार्बी डॉल गिफ्ट मिली, दीदी बहुत खुश थी.. फिर वह तो खेलने चली गई... हम सभी बहुत खुश होकर घूम रहे थे.. घूमते-घूमते मुझे नींद आ गई.. आँख खुली तो देखा सभी बडे़ लोग खाना खा रहे थे. भूख तो मुझे भी लग रही थी.. थोड़ी देर तो रुका फिर मैंने दूध माँगना शुरू कर दिया... हाँ भाई रोने लगा.. मम्मी को खाना बीच में छोड़ कर मुझे दूध पिलाना पड़ा। ताज्जुब की बात है इतने बडे़ मॉल में मेरे लिए दूध पीने की कोई जगह नहीं थी.. मम्मी को बहुत मुश्किल हुई.. खै़र ! दूध पीकर मैं फिर से तैयार हो गया.. थोड़ी देर तफ़रीह कर हम घर के लिए रवाना हो गये..
Happy Birthday Pari Didi.. Happy Birthday Papa..
(3 August 2008)
परी दीदी का कल जन्म दिन था। हाँ ! पापा का जन्म दिन भी तो कल ही था.. हम सब वहीं मिले.. ताऊ, ताई और परी दीदी..
मैं तो दोपहर में ही सो लिया था, ताकि शाम में अच्छे से घूम सकूं.. आख़िर इतने बड़े मॉल में पहली बार जा रहा था भाई...
गाड़ी से उतरकर मैं तो अपनी गाड़ी (pram) में सवार हो गया, पापा को तो अपनी गाड़ी पार्किंग में रखनी पड़ी पर मेरी गाड़ी तो सभी जगह पर गई। हम लिफ़्ट से मॉल के अन्दर गये.. बहुत बड़ी जगह है.. मैं तो टुकर- टुकर सबको आश्चर्य से देख रहा था, आने-जाने वाले लोग भी मुझे देखकर smile कर रहे थे.. थोड़ी देर तक हम घूमते रहे.. फिर तो परी दीदी आ गई। उन्हें बार्बी डॉल गिफ्ट मिली, दीदी बहुत खुश थी.. फिर वह तो खेलने चली गई... हम सभी बहुत खुश होकर घूम रहे थे.. घूमते-घूमते मुझे नींद आ गई.. आँख खुली तो देखा सभी बडे़ लोग खाना खा रहे थे. भूख तो मुझे भी लग रही थी.. थोड़ी देर तो रुका फिर मैंने दूध माँगना शुरू कर दिया... हाँ भाई रोने लगा.. मम्मी को खाना बीच में छोड़ कर मुझे दूध पिलाना पड़ा। ताज्जुब की बात है इतने बडे़ मॉल में मेरे लिए दूध पीने की कोई जगह नहीं थी.. मम्मी को बहुत मुश्किल हुई.. खै़र ! दूध पीकर मैं फिर से तैयार हो गया.. थोड़ी देर तफ़रीह कर हम घर के लिए रवाना हो गये..
Happy Birthday Pari Didi.. Happy Birthday Papa..
(3 August 2008)
Sunday, August 3, 2008
आदि की शोपिंग.
आज मैं 3 माह का हो गया, हाँ लगा लो हिसाब --2 मई से 2 अगस्त-- हो गये न पूरे तीन महीने.. पापा मम्मी हर माह की २ तारीख़ को मेरा birthday मनाते हैं, तो इस हिसाब से आज मेरा b'day था.. सभी बहुत खुश थे। मम्मी ने मुझे नहला कर नये-नये कपडे़ भी पहनाये और मैं बहुत सुंदर-सुंदर तैयार हो गया।
आज मैं मालवीय नगर मार्केट गया, पापा मम्मी के साथ। कुछ शोपिंग करनी थी। सबसे पहले हमने प्राम (pram) ख़रीदा मैंने भी पंसद करने में मदद की।जानते हैं किस तरह, दरअसल मैंने अलग-अलग प्राम में लेट कर और बैठ कर देखा कि यह मेरे लिए आरामदायक रहेगा कि नहीं ! फिर हमको एटलस कंपनी का एक प्राम पंसद आ गया। मैं आराम से उसमें लेट गया, और मार्केट घूमने लगा, मेरे लिए कपडे भी ख़रीदने थे न! मुझे प्राम में बहुत मज़े आ रहे थे.. पापा मम्मी बहुत दुकानें देखते रहे और मैं प्राम में लेटा आने-जाने वालों को देखता रहा । फिर तो मैं सो गया। मम्मी की गोद में पापा की कार में बैठा था..तो जब आँख खुली।
आज मैं मालवीय नगर मार्केट गया, पापा मम्मी के साथ। कुछ शोपिंग करनी थी। सबसे पहले हमने प्राम (pram) ख़रीदा मैंने भी पंसद करने में मदद की।जानते हैं किस तरह, दरअसल मैंने अलग-अलग प्राम में लेट कर और बैठ कर देखा कि यह मेरे लिए आरामदायक रहेगा कि नहीं ! फिर हमको एटलस कंपनी का एक प्राम पंसद आ गया। मैं आराम से उसमें लेट गया, और मार्केट घूमने लगा, मेरे लिए कपडे भी ख़रीदने थे न! मुझे प्राम में बहुत मज़े आ रहे थे.. पापा मम्मी बहुत दुकानें देखते रहे और मैं प्राम में लेटा आने-जाने वालों को देखता रहा । फिर तो मैं सो गया। मम्मी की गोद में पापा की कार में बैठा था..तो जब आँख खुली।
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