आजकल मैं चीजों को पहचानना सीख गया हूँ.. रंग और आकार देखकर.. और उसी के चलते मैने अपनी पंसद और नापंसद भी बनानी शुरु कर दी है.. खिलौनों की टोकरी से कौनसा खिलौना उठाना है, किस चीज को लेना है किसे नहीं अब मैं खुद तय कर लेता हूँ.. और अगर कोई चीज मनपसन्द न हो तो विरोध जताने के तरीके भी इज़ाद कर लिये है..
अब कल की ही बात लो.. मम्मी ऑफि़स से आई और मैं उनकी गोद में लेटा था.. पापा सेण्डविच बना कर लाये.. गरम-गरम.. मेरे लिये तो बिल्कुल नई चीज़.. मैनें सेण्डविच की और हाथ बढाया.. मुझे भी खाना था भई.. पर मम्मी ने दूर हटा दिया.. सोच रही थी कि मेरे गले में न अटक जाये.. और उसमे मिर्ची भी थी... पर मुझे तो वो चाहिये ही था.. मैं पूरी ताकत से सेण्डविच पर झपटा.. लेकिन मम्मी तो मुझसे ज्यादा ताकतवर है.. दुर हटा दिया.. पर मेरा एक बल तो मम्मी पर भारी था.. ’रोने का बल’.. लेकिन तभी पापा एक नया जुगाड़ कर लाये.. मुझे बिस्किट पकडा़ने लगे.. लेकिन मैने तो सेण्डविच ही खाने की ठान रखी थी.. पापा की भी नहीं चली.. और आखि़र मैं मुझे सेण्डविच मिल ही गया..
अब मैं चीजें पहचानने लगा हूँ.. और आप मुझे मुर्ख नहीं बना सकते..
बेटा जी आप हमारा "कल" हो आप को कैसे मूर्ख बना सकते हैं
ReplyDeleteसमझदार हो गए हो |
ReplyDeleteबेचारे पापा जी, च्च्च्च :-)
ReplyDeleteअरे नए स्वाद की लिस्ट में तो जोडो मुन्ने राजा.
वाह बिटवा वाह.. जुग जुग जियो.. :)
ReplyDeleteअब यदि मूर्ख बनाने की ज़्यादा कोशिश करोगे तो शू...शू आप की गोद में......
ReplyDeleteकिसकी हिम्मत है जो तुम्हें मूर्ख बनाए।
ReplyDeletethis shows that u r growing
ReplyDeleteवाह जी... नन्हे राजा...!!! पापा से कहियो की हमें भी उनका ये प्रयास बहुत पसंद आया...!!! आपकी गतिविधियों का ध्यान रखते-रखते देखना, आपके पापा एक रोज बाल-मन के ही पारंगत हो जायेंगे...!!!
ReplyDelete" ha ha ha ha hmm to kaisa lgaa sandwitch ka taste han "
ReplyDelete" beta aapka blog mai pdh nahi paa rhi, apke blog open krty hi, computer hang ho jata hai , pta nahi kya problem hai...aaj koshish ki hai fir se.."
love ya