जैसा की मैंने आपको बताया कि अब मैं समझदार हो रहा हूँ, चीजे पहचानने लगा हूँ.. आज मैं बताता हूँ मैं और क्या क्या करता हूँ..
1.कल की ही बात लो मेरे हाथ मैं मम्मी का धागा लग गया.. तो मैनें उसका क्या हाल किया...
1.कल की ही बात लो मेरे हाथ मैं मम्मी का धागा लग गया.. तो मैनें उसका क्या हाल किया...
2. अब मैनें गोदी में आने की फरमाईश भी करनी शुरु कर दी है.. कैसे? मेरे अपने इशारे है.. एकदम ओरिजनल... आज विडियो तो नहीं दिखा सकता पर.. मैं अकड़ कर दोनों हाथ उपर करता हूँ.. "मम्मी/पापा उठा लो न please"...
3. और मैं बैठना सीख रहा हूँ... पूरा तो नहीं पर बिना सहारे एक मिनिट तक बैठ सकता हूँ..
4. पलटाना सीखा है.. घूम भी जाता हूँ.. तो मेरी शरारतें भी शुरु हो गई.. देखे एक झलक.. प्राम में झुककर खाने के लिये बेल्ट ढूढ लाया और टेबल के नीचे भी एक चक्कर लगा आया..
5. अगर खाना न खाना हो तो.. तो क्या? मैं अपना मुँह कस के बंद कर लेता हूँ.. और उछलने लगता हूँ.. खिला के दिखा दे कोई?
6. मम्मी या पर्स हो या मेरा बैग.. मुझे उनके कस्सों से बेहद लगाव है.. और उन्हे पाने के लिये पूरा दम लगा देता हूँ.. किसलिये?.. खाने के वास्ते बाबा!!
7. सीट बेल्ट लगा कर पापा के साथ गाड़ी के आगे वाली सीट पर बैठ जाता हूँ.. हाँ गियर में मेरी विशेष रुचि रहती है.. तो कभी घुमाने ले जाओ तो संभल के!!
3. और मैं बैठना सीख रहा हूँ... पूरा तो नहीं पर बिना सहारे एक मिनिट तक बैठ सकता हूँ..
4. पलटाना सीखा है.. घूम भी जाता हूँ.. तो मेरी शरारतें भी शुरु हो गई.. देखे एक झलक.. प्राम में झुककर खाने के लिये बेल्ट ढूढ लाया और टेबल के नीचे भी एक चक्कर लगा आया..
5. अगर खाना न खाना हो तो.. तो क्या? मैं अपना मुँह कस के बंद कर लेता हूँ.. और उछलने लगता हूँ.. खिला के दिखा दे कोई?
6. मम्मी या पर्स हो या मेरा बैग.. मुझे उनके कस्सों से बेहद लगाव है.. और उन्हे पाने के लिये पूरा दम लगा देता हूँ.. किसलिये?.. खाने के वास्ते बाबा!!
7. सीट बेल्ट लगा कर पापा के साथ गाड़ी के आगे वाली सीट पर बैठ जाता हूँ.. हाँ गियर में मेरी विशेष रुचि रहती है.. तो कभी घुमाने ले जाओ तो संभल के!!
बहुत खूब । पहली बार यहां आना हुआ। असली ब्लाग है ये तो भाई।
ReplyDeleteखूब खूब आशीर्वाद। ऐसे ही तरक्की करते रहो।
अपने पापा कहना कि खेमसिंह चाचा का खेमा यानी तम्बू से कोई लेना देना नहीं है। उनके नाम में लगा खेम तो कुशल वाले क्षेम का बिगड़ा रूप है। क्षेम यानी कल्याण का भाव। यानी कल्याणसिंह है वो ना कि तम्बूसिंह :)
भाई आदि हमें तो यह बताओ कि काटना सीखे हो कि नहीं . जो बच्चे मम्मी पापा को काट लेते हैं वे अच्छे बच्चे कहलाते हैं :)
ReplyDeleteवाह हमारा बिटवा तो अबा बैठने भी लगा है.. कुछ दिन में जब दौड़ने लगोगे तब पापा-मम्मी को और परेशान करना.. :)
ReplyDeleteबहुत खुब बेटा, अब धीरे धीरे सायने होते जा रहे हो, खुब मजा आ रहा है ना.... अब पापा से बोलना तुम्हे कभी अगली सीट पर मत बिठाये, मेने देखा है भारत मै लोग छोटे बच्चे को अगली सीट पर बिठा कर खुश करते है.... लेकिन बेटा पापा से बोलना यह कभी कभी खतरनाक होता है, इस लिये राजा बेटा जब तक बडा नही हो जाता अच्छे बच्चे की तरह से पीछे बेठे, हमारे यहां बच्चे को आगे बिठाया तो जुरमाना भी देना पडता है.
ReplyDeleteचलो अब खुब शरारते करो...
बहुत सा प्यार
बढ़िया चित्र !
ReplyDeleteघुघूती बासूती
अब आ रहा है ना सही फॉर्म में...बदमाशी में पीछे मत रहना....मम्मी से आगे जाना है ना...मम्मी का नाम डूबाना मत..
ReplyDeletekya baat hai thode dino mmai too tu crowlbhi karega
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