बैठना सीख रहा हूँ.. थोडा सहारा मिल जाये तो कुछ देर बैठ भी सकता हूँ.. सोफा पर बैठता हूँ, पंलग पर बैठता हूँ, आंगन में बैठता हूँ.. और.. और... पापा के कन्धे पर भी.. शान से.
शावास बेटा, अबे हम अपने पापा से डरते थे, ओर हमारा बेटा उन्हे घोडा बना कर सारे घर मे घुमाता था, क्या तुम भी ऎसा करते हो?? चलो अभी तो पापा को ही घोडा बना कर घुमाओ
अरे पापा को घोड़ा बनाकर पीठ पर बैठ फ़िर ले सवारी करने का मजा |
ReplyDeleteबहुत अच्छे आदि.. रतन अंकल ने सही कहा.. पापा को घोड़ा बनाओ
ReplyDeleteदुनिया का नारा "जमे रहो "
ReplyDeleteदेखो बेटा पापा के कंधे पर बैठे तो हो पर ध्यान रहे शु शु मत कर देना .
ReplyDeleteशावास बेटा, अबे हम अपने पापा से डरते थे, ओर हमारा बेटा उन्हे घोडा बना कर सारे घर मे घुमाता था, क्या तुम भी ऎसा करते हो?? चलो अभी तो पापा को ही घोडा बना कर घुमाओ
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