मुझे ऐसे व्यस्त कर पापा मम्मी खाना खिला देते हैं.. जो मुँह पर निशान देख रहें है, उसी के है..
शरारत ऑफ द डे शाम को घर में मन नहीं लगता.. बाहर घुमने जाना होता है... कल शाम भी एसा ही हुआ.. पापा भी तैयार हो गये.. और बाजार जाने के लिये पापा की गोद में सवार हो गया.. अचानक पापा की नजर कंप्युटर पर पड़ी... देखा तो ब्लोग पर मम्मी का कमेंट था.. पापा मुझे गोदी में लेकर कमेंट पढ़ने लगे.. अब ये मुझे मंजूर नहीं था.. और मौका देख पापा का कान चबा गया... अब पापा के पास कोई विकल्प नहीं था... "आदि एसा करते हैं क्या?" |
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कहाँ से मिली यह चाबी।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
sahi hai boss....mauj lo
ReplyDeletetaala khol to liya ab band bhi mai hi karunga.....
ReplyDeleteअरे पलटू, यार कमाल कर दी, यार ! अरे कान क्यो खा गये पापा का, ओर यह ताल बंदी भी खूब कर रहे हो.
ReplyDeleteप्यार
वाह मेरे नटवर लाल..."तेरा जवाब नहीं...."
ReplyDeleteनीरज
बड़े शैतान हो गए हो तुम तो!
ReplyDeleteइंजीनियर बनने के गुण नज़र आ रहे हैं!
ReplyDeleteओह तो भैय्या जी मास्टर चाबी भी साथ रखने लगे है बहुत खूब
ReplyDeleteइंजीनियरिंग भी चालु हो ही गयी :)
ReplyDeleteकान चबाने वाले मामले में तो बड़े शैतान हो गए हो !
ReplyDeleteयार पल्टू कभी इन एयर टेल का भी कान चबा ले ना ! आज टिप्पणी करने भी नेट की स्पीड ने दुखी कर दिया ! अब जाकर बड़ी मुश्किल से टिप्पणी चस्पा हो पा रही है |
dhakan lagana acha skill set hai, very much required in this generation
ReplyDelete(on facebook)
yaar..
ReplyDeleteaadi nath...
pure ache se kaan khAna...
pure maje lekar...
daba daba kar..
mithe mithe honge..
kaku bhaiya ko all d best..
aur ek request ..
use plz aaram se khane dena..
ऐसे ही पापा के कान काटते रहो.. बड़े हो कर बड़े बड़ों के कान काटना.. :)
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