शरारत ऑफ द डे वाशबेसिन जाता तो हाथ धोने हूँ पर वहाँ से कभी खाली हाथ नहीं लैटता.. कभी टुथ ब्रश, कभी टंग क्लिनर या कंघा जो मिल जाये.. परसो लम्बा हाथ मारा और टुथ पेस्ट उठाकर ले आया.. पापा वापस लेने चाह रहे थे तो ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया.. फिर पापा क्या कर सकते थे.. अपनी तस्ल्ली के लिये उसका ढ़क्कन टाइट बंद कर मुझे पकड़ा दिया.. क्या उनको पता नहीं कि अब मैं बड़ा हो गया हूँ? मैने भी मौका पाकर उसका ढक्कन निकाल लिया और फर्श को अच्छे से मंजन करा दिया.. फिर तो टुथपेस्ट मेरे से छिनना ही था..:) |
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Saturday, June 27, 2009
आदित्य - मुरमुरे खालो मुरमुरे
मुरमुरे बहुत पसन्द है.. खा भी सकते है और खेल भी सकते हैं.. देखे इस चित्रकथा में.. आप भी खा सकते हैं
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तुम्हारी शरारतों का जवाब नहीं
ReplyDelete---
मिलिए अखरोट खाने वाले डायनासोर से
विक्की भईया तो इतना बड़ा मूँह खुले हैं कि कटोरी ही खिला देते. :)
ReplyDeleteफर्श तो बिल्कुल चमक गया होगा पेस्ट करके. शाबास!
छा गया आदि..लगा रह बेटा फ़िर अकाध साल बाद तो स्कूल जाना ही है..करले मस्ती..ये दिन कभी नही आयेंगे.. तबियत से लगा रह.:) यार मुरमुरे हमको भी खिला यार...
ReplyDeleteरामराम.
आदि, आपने फर्श को भी पेस्ट करा दिया :)
ReplyDeleteशाबास ! अंकल जी खुश हुए :)
ReplyDeleteओ भैये ....
ReplyDeleteआदि की शरारतें लुभावनी हैं।
ReplyDeleteशुभाशीर्वाद।
वाह मुरमुरे देख कर तो मुंह मे पानी आ गया।
ReplyDeleteअओ मेरी टिपण्णी भी कुरमुरे के संग खा गया, यार जल्दी कर कल के तेरे कुरमुरे नही खत्म हुये, चल जल्दी से कुछ ओर ले कर आ
ReplyDeleteखाओ और खेलो। मुरमुरे पर लेख बाद में लिखने होंगे!
ReplyDeleteआदि बेटा।
ReplyDeleteजरा ध्यान से-
मुरमुरों के लालच में कहीं
उँगली मत चबा लेना।
bade maze kar rahe ho beta ji...yu hi lage raho...
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