बहलाते फुसलाते स्कुल भी पहुँच गए... आदि का रोना बढ़ गया... समझ नहीं आ रहा क्या किया जाए.. अनमने भाव से स्कुल में दाखिल हो गया... उसका प्यारा जेबरा दिखाया पर.. आज आदि को जेबरा भी खुश नहीं कर पाया.... बोलने लगा "आदि स्कुल नहीं जाएगा...घर पर रहेगा" "फिर कुछ खिलौने दिख गए... उन्हें लेकर मिटटी के अलग अलग आकार बनाए... आदि थोडा खुश हुआ... थोड़ी देर में टिचर आ गई.. उन्हें देख आदि फिर बिदक गया... टिचर ने गोदी में उठाया तो आदि का रोना शुरू हो गया... मैं पास असमंझस की स्तिथि में खडा रहा.. टिचर बोली.."He was much better yesterday, you go we will take care"
अच्छे मुड में आदि का डांस.... |
आदि को रोता छोड़ कैसे घर चला जाता.. स्कुल के गेट पर ही खडा हो गया.. कभी लगता आदि को घर ले जाऊं.. स्कुल तो होता रहेगा... फिर सोचता अगर घर ले गया तो आदि को लगेगा की रोने से स्कुल की छुट्टी होती है... शायद हमेशा ऐसा करे.. खडा रहा... थोड़ी देर में रोने की आवाज बंद हो गई.. अंदर जा कर देखने की इच्छा हुई पर.. मुझे देखा तो फिर रो पडेगा... स्कुल की मैड को अंदर भेजा... वो बोली अब चुप हो गया है... मन तो नहीं था फिर भी वापस चला... कुछ कदम चला तो फिर आदि के रोने की आवाज आई.. और कदम स्वत: ही स्कुल की और बढ़ गए... गेट से झांका तो देखा आदि अभी भी टिचर की गोदी में रो रहा है.. बाकी बच्चे वका-वका पर डांस कर रहे है.. कुछ देर खडा रहा.. आदि चुप हो चुका था... और नए माहोल में खुद को ढाल रहा था...
भारी मन से ऑफिस की और चल दिया... ये सोचते की मैंने सही किया या गलत... किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाया....
करीब एक घंटे बाद अंजु ने स्कुल में फोन किया.. पता चला आदि मजे में है.. थोड़ा रोया फिर खेलने लग गया... कुछ खाना भी खाया... करीब ११ बजे अंजु आदि को घर ले आई. आदि बहुत खुश था... मैंने जब ११.३० बजे घर फोन किया तो आदि ने पेरेलल लाइन से फोन उठा लिया.. बोला "बाबा आप कब घर आओगे?" आदि चहचहा रहा था.. और मैं बेहतर महसूस कर रहा था....
स्कूल में जब कई दोस्त बन जायेंगे तो हालत सुधर जायेंगे फिर देखना छुट्टी वाले दिन भी स्कूल जाने की जिद करेगा |
ReplyDelete@आदि आपके पापा नें बिलकुल ठीक किया! स्कूल नहीं जाना बुरी बात !
ReplyDeleteआपकी दुविधा समझ सकता हूं. यह socialization की पहली सीढ़ी है. धीरे-धीरे नए माहौल को भी आदित्य अपना लेगा. "स्कूल में आज क्या-क्या मज़े किये ?" जैसे छोटे-छोटे एक-आध सवाल बच्चे को घर और स्कूल को एक साथ जोड़ कर देखने में मदद करते हैं.
ReplyDeleteअरे मन को मजबुत करो जी, हम पर सब बीता है, आप ने सही किया वर्ना उस को रोज क बहाना मिल जाता ओर रोज ही किसी ना किसी बहाने रोता, अभी तो स्कुल जायेगा, फ़िर दोस्तो के संग एक दो दिन के लिये घर से बाहर, फ़िर स्कुल के संग एक दो सप्ताह के लिये घर से बाहर... अब आदि को थोडा आजाद होने दो यह उस के लिये ही अच्छा हैमै पहले पहल रात को सोता भी नही था, अगर आदि को मजबुत बनाना है तो पहले अपने दिल को मजबुत बनाओ .
ReplyDeleteऎसे ही हमारे मां बाप ने हमे पाला है, ओर वो आज भी हमारे लिये युही तडपते है
@रतन जी,
ReplyDeleteउस दिन का इंतज़ार है... मजा आएगा.. छुट्टी के दिन आदि को स्कुल जा कर दिखायेगें देखो कोई नहीं है..:)
@ काजल भाई, प्रयास जारी है.. हम स्कुल में ज्यादा समय बिताते है और जाते समय बता कर निकलते हैं की थोड़ी देर में आते है..
ReplyDeleteथैंक्स
@ भाटिया जी,
ReplyDeleteउसी मजबूत दिल से आज आदि को छोड़ आया.. वरना..
आपकी बातें हमेशा मार्गदर्शन करती है...
थैंक्स...
sounds touching...these small small things make the the quality of our life pricious..
ReplyDeleteविद्यालय जाने में कोई समझौता नहीं, आदि महाराज।
ReplyDeleteमेरी मम्मी कहती है कि मै शुरु से ही नालायक था... स्कूल जाते समय रोता नही था :( मैम लोगो के साथ खुश रहता था :(
ReplyDeleteआदि को ढेर सारा प्यार... जल्दी ही वो अपना गैन्ग बनाये और उसके सारे दोस्तो की फ़ोटो देखने को मिले..
ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ था, पर अब तो मन से स्कूल जाती हूँ.
ReplyDeletekids grow up but in the eye of parents they remain like a new born
ReplyDeletenothing to worry for him the culture is also new and language must be also a bit of problem so start teaching him a bit of thai and then you will see the change kida are fast learners
i googled and found this could be useful
http://www.learningthai.com/resources.htm
अब तो मेरा मन भी होने लगा है कि
ReplyDeleteमैं भी "सरस पायस" से संबंधित संस्मरण लिखने लगूँ!
आपने सही किया
ReplyDeleteआदि को शुभकामनाये