Tuesday, July 20, 2010

ये लहराती जुल्फें.. ये घुंघराले बाल...

बारिश का मौसम..
कमरे में आती तेज ठंडी हवा
ऐसे में कौन खुश न हो 

ये लहराती जुल्फें..
ये घुंघराले बाल...
क्या बात है मेरे लाल..




ये सोफासन.. 
शाम को मस्ती के मुड में आदि की कुछ खूबसूरत तस्वीरें... कुछ पक्तियां आपके मन में भी आ रही है तो जरुर बताएं...

(आदि के आसन यहाँ देखें)

12 comments:

  1. ओह हो सदकेजावा क्या अदा है...........
    बहुत ही सुन्दर लग रहे हो अदि

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  2. इन घुंघराले बालो की
    उडती हुई मस्त घटा
    उफ़!!! उस पे ये किलकारी
    और एक हसीन अदा....
    इस मासूमियत पे
    कौन ना होगा फ़िदा.........

    " ओये ओये हीरो कमाल के लग रहे हो....नज़र न लगे..."

    love ya

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  3. वाह! वाह!

    चलती हवाओं में
    बैंकाक की फिजाओं में
    उड़ाता जाए बाल
    आदि करता जाए कमाल
    वाह वाह मेरे लाल

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  4. वाह वाह हीरो,
    लटें कम झटकाना,
    बहारें हिल जायेंगी।

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  5. आदि के चेहरे पर पसरी हुई हवायें देख कर कितना अच्छा लग रहा है ! कौन कहता है कि हवायें दिखतीं नहीं ?

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  6. mast andaaz he...Baba ko bhi shayer bana diya...

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  7. क्या हुआ बेटू बाबा को? कविता करने लगे..हा हा!! इत्ते प्यारे आदि को देख कर तो हवाएँ भी गीत लिखें फिर बाबा तो बाबा हैं...है न!!

    बहुत सुन्दर!

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  8. आज तो पूरे लटके झटके दिख रहे है :)

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  9. रचना पढकर अछ्छा लगा!
    --
    आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है-
    http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/07/7.html

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  10. अरे बहुत सुंदर लग रहा है बिलकुल आदि लग रहा है बेटे

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  11. .
    आदित्य की घुंघराली जुल्फें किसी को भी दीवाना बना देंगी...I am feeling like holding him tight and cuddle him .

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कैसी लगी आपको आदि की बातें ? जरुर बतायें

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