Wednesday, August 6, 2008
एक दिन मम्मी का बेटा, एक दिन पापा का
पड़ गये न चक्कर में ! पूरी बात बताता हूँ। यह कुछ दिनों पहले की बात है.. मम्मी रोज़ मुझे नहला कर मेरी आँखों में काजल लगाती थी.. पापा ने मम्मी से कहा : "आदि प्यारा बच्चा है, इसकी आँखों मे काजल नहीं लगाना चाहिये".. दोनों के अपने अपने तर्क थे। पापा कहते है .. काजल लगाने से आँखें ख़राब हो सकती है.. इसकी ज़रुरत नहीं हैं.. पर मम्मी कहती हैं इससे आँखें साफ़ रहती हैं और मैं सुन्दर लगता हूँ, इसलिए काजल लगाना चाहिये..दोनों की बात का कोई नतीजा नहीं निकला..हाँ ! इतना अवश्य हुआ कि उसके बाद मम्मी एक दिन छोड़ कर काजल लगाती है। और कहती है "आदि एक दिन मम्मी का बेटा, एक दिन पापा का बेटा :-) "
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Aadi, papa sahi kehtey hain :)
ReplyDeleteSo cute! Perfect solution
ReplyDeletewhat an idea ... appropriate thinking...great
ReplyDelete"wow, an idea can always change the life"
ReplyDeleteGreat
न मम्मी का, न पापा का-आदि तो बस प्यारा बेटा है दोनों का. खूब खुश रहो!!
ReplyDeleteThank you fly, Rajeev, Udantashtari and Nitish uncle..
ReplyDeleteThank you Seema and Jyoti aunty..
"आदि तो प्यारा बेटा है, मम्मी-पापा का"
काजल लगाने की प्रथा सेहत के लिये हानिकारक हो सकती है। काजल कैसे बनायी जाती है, यदि ये आप देख लें, तो कभी किसी की आंख में नहीं लगायेंगे। कई साल पहले दिल्ली के एक कस्बे में मेरे पास एक मां अपने पांच बच्चों को लेकर आयी थी - दरअसल एक बच्चे की आंख में infection हो गया था, लेकिन एक ही सलाई से सभी बच्चों को काजल लगाने के कारण वह infection पांचों बच्चों की आंखों में फैल गया था। बच्चे वैसे ही सुंदर लगते हैं, उनकी आंखों में काजल न लगायें।
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