बछ बारस के पीछे कुछ दंत कथाएं है। ज़्यादा तो किसी को पता नहीं पर मधु मासी ने बताया कि किसी ने गलती से बछड़े की हत्या कर दी.. इससे गाय को बहुत दुख हुआ.. और तब से गाय बछड़े की पूजा करते हैं और चाक़ू को नहीं छूते। साथ ही सभी मातायें अपने बच्चों की पूजा कर सलामती की दुआ करती हैं. इसके बारे में और जानकारी पता लगा कर आपको विस्तार से कभी बताऊँगा ।
ख़ैर ! मेरी भी पूजा हुई (वो नहीं जो आप समझ रहे हैं).. तिलक लगा, लेकिन लड्डु नहीं मिला। मम्मी ने बस थोड़ी सी शहद से मुँह मिठा करा दिया.. कुछ तो नया टेस्ट करने को मिला..
आज तो मैं दिन में अधिकतर सोता रहा.. शायद दवा का असर था.. पर शाम को जम कर खेला.. और हाँ चूँकि आज शहद खाई थी तो शाम को ख़ूब जीभ निकाल कर दिखाई..
अरे तिलकधारी बबुआ कित्ता प्यारा लग रहा है, शहद खाकर जुबान निकाले !! खूब बदमाशी छूट रही है न!!टीका भी पोंछ दिया शैतानी में??
ReplyDeleteहमारी मिठाई रख लेना-जब भारत आयेंगे अपने बबुआ से मिलने, तब खायेंगे. :)
बछ बारस के बारे में हमें तो मालूम ही नहीं था-अच्छा किया बता दिया वरना कोई पूछता तो कुछ जबाब ही न दे पाते.
ReplyDeleteवत्सद्वादशी के बारे में खूब जानते हैं। पर आप से ही सुनेंगे जब आप बताएँगे।
ReplyDeleteGod Bless the Baby ,Very cute !
ReplyDeleteउडन तश्तरी अंकल, ये टीका मैने नहीं मिटाया है... मै तो बस इसे छुकर स्वाद लेने की कोशिश कर रहा था... मम्मी मे मिटा दिया.. :(
ReplyDeleteबछ बारस के बारे में पहली बार सुना। जानकारी के लिए धन्यवाद। आदित्य बहुत सुन्दर लग रहे हो तिलकधारी बन कर, भगवान लम्बी आयु प्रदान करे शुभाषीश।
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