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शाम को पापा ऑफिस से आते है तो मैं अपनी पढाई शुरु कर देता हूँ.. किताब के पन्ने पलटना, उसमें रंग बिरंगे चित्र देखना मुझे खुब भाता है.. और तो और उसमे कुछ कार्ड भी है... कार्ड बाहर निकाल उनसे खेलना भी पसंद है..
किताब पर लिखा है कि इससे मैं हाथों और आंखो का सामजस्य सिखुंगा...
और एसा नहीं कि ये एक बार ही पढी़ है... ये देखिये दुसरे-तीसरे दिन के चित्र भी...
अभी कार्ड पहचाना और जगह पर लगाना नहीं आया है पन्ने अच्छे से बदल लेता हूँ..
और कुछ नहीं तो ये किताब १०-१५ मिनिट तो मुझे एक जगह बैठा सकती है, उससे ज्यादा नहीं.. इतनी पढाई बहुत है न मेरे लिये?
थेंक्यु रा्जीव अंकल!!
बहुत शाबास आदि..अब तो पढाई भी शुरु करदी. बधाई पहली किताब पढने के लिये.
ReplyDeleteरामराम.
किताब सबसे अच्छा दोस्त होती है!
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किताब से दोस्ती करोगे,
तो अपने आपको
कभी अकेला नहीं पाओगे!
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तुम्हारी ये तस्वीरें देखकर
तो यही लग रहा है कि
बहुत बड़े पढ़ाकू निकलोगे!
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vah beta abhi se itani padhai ye to badi achhi bat hai badhai
ReplyDeleteDekho, kitab phatne na paaye.
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अभी से १५ मिनट पढ़ाई-मेरिट में आओगे पक्का!! शाबास!!
ReplyDeleteDear Adi,
ReplyDeleteKeep it up. I am very happy to see that you are using my gifted book. Books are one's best friends. One who keeps company of books never gets bored in life.
Luv,
Rajeev Uncle
शाबाश ! बहुत अच्छे ! लगे रहो !
ReplyDeleteदेखो प्यारे धीरे धीरे पढ़ाई नामक चीज में फंसाया जा रहा है। बच के रहना!
ReplyDeleteआप तो जबर्दस्त पढ़ाकू हो गए। किताब देने वाले अंकल बहुत समझदार हैं। आपको सबसे अच्छाd दोस्त दे दिया।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
अमां खां तुम तो अबी से पढ़ाकू लग रिये हो :)
ReplyDeleteवाह भाई ...गिफ्ट तो बहुत सही है
ReplyDeleteसीखो सीखो
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
gyaan ji ne theek khaa hai jab tak ho isse bachke rahna
ReplyDeleteअभी से किताबें....नहीं नहीं...अभी तो खेलो खाओ...बड़े हो कर किताबें ही तो पढ़नी है...वैसे पढ़ते तुम बहुत ध्यान से हो...जीवन में बहुत आगे जाओगे इसमें कोई शक नहीं...
ReplyDeleteनीरज
बुरी आदत है इसे बदल डालो....
ReplyDeleteचलो बेटू लाल कि दोस्ती किताब से तो हो गई.. :)
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