आप भी सोच रहें होगें की आम का मौसम आये इतने दिन हो गये और आदि ने अभी तक आम खाने/चखाने की खबर नहीं सुनाई.. आम तो काफी दिनों से खा रहा हूँ पर मम्मी काट कर देती है तो खाने में ज्यादा मजा नहीं आता... आम खाने का असली मजा आया सोमवार को.. मम्मी ने टब में बिठा कर गुटली हाथ में दे दी.. फिर क्या था जैसे मन मांगी मुराद मिल गई... देखिये आम खाने का मजा इन चित्रों में...
खट्टा है क्या?
कहां फिसला जा रहा है?
अब आया मजा!!
मजा आ गया...
finish!!!!!!!!
पहली फोटो में इतना मूँह काहे बनाये हो..बाद में तो हमको ललचा दिये.
ReplyDeleteहमें तो नाली के किनारे बैठाया जाता था चुसैय्या आम बाल्टी में रखकर.
ReplyDeleteबताए नहीं .. आम कैसा लगा ?
ReplyDeleteअरे मैं समझा आप फोटो देख कर ही समज जाएंगी.. बहुत मस्त था.. मजे ले कर खाया...
ReplyDeleteबाल्टी में आम.!!!!जुल्म है ठाकुर .जुल्म है.......हमे तो अखबार बिछा के बिठाते थे...
ReplyDeleteबस पहली बार थोडा खट्टा लगा फ़िर तो आदि ने मजे लेलेकर चूसा..वाह .
ReplyDeleteरामराम.
:)
ReplyDeletesachchi me.. aage se bolna ki nali kinare bithane ke liye.. asli maja vahin aata hai.. :D
आम खाने का तरीक़ा
ReplyDeleteयह बहुत अच्छा!
चूस रहा जो वह अच्छा है,
चुसनेवाला भी अच्छा!
अरे वाह आदि ! आम के मज़े ले रहे हो.
ReplyDelete..मुझे तो मेरी मम्मी ने आम खाने ही नहीं दिया. कहती हैं की जब बारिश हो जाए उसके बाद खाना.
...अब आम का बारिश से क्या संबंध.
अरे.. बिल्कुल उल्टा.. मेरे दादा दादी कहते है बारिश के बाद आम में कीड़ा लग जाता है... तो जो खाना है पहले खा लो...
ReplyDeleteवाह! क्या बात है आदि..
ReplyDeleteआज तो तुम्हारी तस्वीरें देख कर अपना बचपन याद आ गया.
मस्त!
आम खाने हों तो ऐसे ही वरना क्या आम खाए??
हैं न??
हाँ ,बारिश पड़ने के बाद आम नहीं खाने चाहियें ये तो हमने भी बड़ों से सुना है..
हमको भी बाल्टी मे आम मिलते थे मगर सप्ताह मे एक बार नीम की पत्ती का एक चम्मच काढा पीने के बाद,ताकि फ़ोड़े-फ़ुन्सी न हो।
ReplyDeleteअरे आदि, ऐसी गुठली लेकर थोड़े ही चूसते हैं...हम तुझे एक बात बतातें हैं जो हमने कुश भाईसाहब से सीखी थी...पता है जब कुश भाईसाहब छोटे थे ना....अपने जैसे....तो आम देख कर बल्लू मासी को बोले आम खाना है...बल्लू मासी बोली...रुक, अभी mango-shake बना रही हूँ, आम काट तेरे को गुठली देती हूँ चूसने के लिए....बस फिर क्या..बल्लू मासी तो चाकू और प्लेट लेकर बैठी आम काटने और पास में बैठ गए कुश भाईसाहब, गुठली के इंतजार में....जैसे ही मासी ने आम छील कर प्लेट में रखा, कुश भाईसाहब बोले ,'मम्मी, ये गुठली खा लूं ?'.....इसलिए हम भी आजकल ऐसी ही गुठली खातें हैं....तू भी सीख ले यह ....फायदे में रहेगा...
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