गाडोले और साईकिल के बारे में तो आपको बता ही चुका हूँ.. रावेन्द्र अंकल साईकिल पर बिठाने की बात कर रहे थे.. छोटी सी साईकिल पर तो दो लोग नहीं बैठ सकते न? तो फिर मैने अपने गिफ्ट देखे, उसमें मिली ये प्यारी सी कार.. स्टेरिंग और पों पों वाले हार्न के साथ..
ऐसे बजता है ये होर्न.. पों पों..
ये है आरुशी दीदी, अपने पापा के साथ.. दीदी लाई है ये गाड़ी मेरे लिये...
वैसे अभी ये गाड़ी चलानी मुझे आई नही है पर रावेन्द्र अंकल आप तो आ जाओ दिल्ली, इसी गाड़ी में घुमेगें...
थेंक्यु आरुशी दीदी!!
मैं आऊँ? अट जाऊँगा क्या?
ReplyDeleteआरुषि दीदी ने तो बहुत अच्छी कार दी है, खूब चलाओ पों पों करते. :)
आदि भाई की मोटर चली पम पम पम ...इंडिया गेट जायेंगे आइस क्रीम खाएँगे ..अच्छी अच्छी सूरतों से .न न अभी वो काम बाद में ..:) अभी तो मोटर चलाओ पम पम पम ....और आरुषि दीदी को थेंकु बोलते रहो :)
ReplyDeleteले भाई ताऊ भी आगया तेरी पौं पौं मे बैठने.:)
ReplyDeleteरामराम.
हमारा नंबर कब आएगा गाडी पर बैठने का...???
ReplyDeleteनीरज दादा
ओए पलटू साहब अब तो गाडी वाले हो गये हो यार, कभी कभी हमे भी सेर करवाया करोगे क्या, चलो अगली बार जब भी भारत आया मै सिर्फ़ तुम्हारी गाडी मै ही घुमुगां, बेटा बहुत प्यारी लगी आप की यह पॊं पों मोटर.
ReplyDeleteअकंल ओर आरुषि बीटिया को धन्यवाद जरुर बोलना.
प्यार
अरे वाह ! क्या मस्त गाड़ी है , हम भी लाइन में आदि तेरी इस पों पों की सवारी करने के लिए |
ReplyDeleteजो वादा किया,
ReplyDeleteवो निभाना पड़ेगा!
आदि ने बुलाया,
अब तो आना पड़ेगा!
पहले ज़रा बातें ये बताइए -
कहाँ-कहाँ हमको घुमाओगे?
किसको-किसको हम से मिलाओगे?
क्या-क्या चीज़ें साथ-साथ खाओगे?
कैसी-कैसी बातियाँ बनाओगे?
तरस रहे हैं ये सब भी तो,
किसे-किसे साथ में बिठाओगे?
किसकी-किसकी ठोंक-ठोंककर,
किस-किस से ठुँकवाओगे?
गाड़ी तो चलानी अभी आई ना,
अंकल से ही गाड़ी क्या चलवाओगे?
और करेंगे हम क्या?
बेटा लिफ्ट मिलेगी क्या :)
ReplyDeleteकिराया विराया तो तय करो प्यारे। या फ्री में सबको सैर कराओगे!
ReplyDeletesahi hai bete mauj lo
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