यार आदि हमको भी चलाने दे ना? कितना आनन्द आता होगा यार तेरे को?
भाई हमको बचपन की यही एक मात्र याद है इसी तरह की साईकिल चलाते हुये, कमरे मे रखी मेज के कोने से सर टकरा गया था, सर मे आज भी सामने निशान है. बेटा थोडा सावधानी बरतना.
कहीं तू भी ताऊ मत बन जाना.:) पहले से चेता दिया है.
बढ़िया है इस तरह धकेलने में एक फायदा है दो चार साल बाद जब आपकी छोटी बहन आयेगी तो उसे साइकिल में बिठा कर इसी तरह घुमा सकोगे। वैसे एक जगह गुस्सा करते दिखे आप, गुस्से में बड़े सुन्दर लगते हो आप। :)
मस्त!! कोई सामान साईकिल से टकरवा के तोड़े नहीं..फिर क्या मजा आयेगा. :)
ReplyDeleteवाह!! ब्लागिंग के माध्यम से हमलोगों ने भी आपकी बाल लीलाओं का आनंद ले लिया।
ReplyDeleteसोने की साइकिल चांदी की सीट..
ReplyDeleteमजा आ रहा है क्यों? हमें तो देख कर ही आ गया
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ReplyDeleteयार आदि हमको भी चलाने दे ना? कितना आनन्द आता होगा यार तेरे को?
ReplyDeleteभाई हमको बचपन की यही एक मात्र याद है इसी तरह की साईकिल चलाते हुये, कमरे मे रखी मेज के कोने से सर टकरा गया था, सर मे आज भी सामने निशान है. बेटा थोडा सावधानी बरतना.
कहीं तू भी ताऊ मत बन जाना.:) पहले से चेता दिया है.
रामराम.
वाह आदि.
ReplyDeleteखूब ऐश करो अभी मौका है दो साल बाद तो तुम्हे धकेल दिया जाएगा पढाई नाम के जंजाल में
ReplyDeleteताऊ, अब आपको ढुढना मुश्किल नहीं होगा.. आपने आज निशानी बता दी..
ReplyDeleteराम राम
बढ़िया है इस तरह धकेलने में एक फायदा है दो चार साल बाद जब आपकी छोटी बहन आयेगी तो उसे साइकिल में बिठा कर इसी तरह घुमा सकोगे।
ReplyDeleteवैसे एक जगह गुस्सा करते दिखे आप, गुस्से में बड़े सुन्दर लगते हो आप।
:)
पीछे चलने की ट्रेनिंग अभी से लेने की क्या जरूरत है प्यारे! उसके लिये तो पूरी जिन्दगी पड़ी है!
ReplyDeletebhai waah !!
ReplyDeleteनयनाभिराम!
ReplyDeleteमनभावन!
शाबाश आदित्य।
ReplyDeleteआज धकिया रहे हो।
कल चलाना भी सीख ही जाओगे।
शुभ-आशीर्वाद।
भोत बढ़िया साइकिल चलानी आवे भाई थाने म्हाने भी चलावन दयो नी कई देर
ReplyDeleteथारो बडो भाई
अजय कुमार सोनी
परलीका
9460102521