Monday, May 25, 2009

बाल लीलाऐं - साइकिल

आदि को साइकिल क्या मिली घुमने के लिये मन चाहा साधन मिल गया... साहब साइकिल पर सवार नहीं होते उसे धकियाते हैं.. देखिये कैसे..



अच्छा लगे तो पसंद जरुर बताना...

15 comments:

  1. मस्त!! कोई सामान साईकिल से टकरवा के तोड़े नहीं..फिर क्या मजा आयेगा. :)

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  2. वाह!! ब्‍लागिंग के माध्‍यम से हमलोगों ने भी आपकी बाल लीलाओं का आनंद ले लिया।

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  3. सोने की साइकिल चांदी की सीट..

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  4. मजा आ रहा है क्यों? हमें तो देख कर ही आ गया

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  5. यार आदि हमको भी चलाने दे ना? कितना आनन्द आता होगा यार तेरे को?

    भाई हमको बचपन की यही एक मात्र याद है इसी तरह की साईकिल चलाते हुये, कमरे मे रखी मेज के कोने से सर टकरा गया था, सर मे आज भी सामने निशान है. बेटा थोडा सावधानी बरतना.

    कहीं तू भी ताऊ मत बन जाना.:) पहले से चेता दिया है.

    रामराम.

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  6. खूब ऐश करो अभी मौका है दो साल बाद तो तुम्हे धकेल दिया जाएगा पढाई नाम के जंजाल में

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  7. ताऊ, अब आपको ढुढना मुश्किल नहीं होगा.. आपने आज निशानी बता दी..

    राम राम

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  8. बढ़िया है इस तरह धकेलने में एक फायदा है दो चार साल बाद जब आपकी छोटी बहन आयेगी तो उसे साइकिल में बिठा कर इसी तरह घुमा सकोगे।
    वैसे एक जगह गुस्सा करते दिखे आप, गुस्से में बड़े सुन्दर लगते हो आप।
    :)

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  9. पीछे चलने की ट्रेनिंग अभी से लेने की क्या जरूरत है प्यारे! उसके लिये तो पूरी जिन्दगी पड़ी है!

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  10. शाबाश आदित्य।
    आज धकिया रहे हो।
    कल चलाना भी सीख ही जाओगे।
    शुभ-आशीर्वाद।

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  11. भोत बढ़िया साइकिल चलानी आवे भाई थाने म्हाने भी चलावन दयो नी कई देर
    थारो बडो भाई
    अजय कुमार सोनी
    परलीका
    9460102521

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