हालांकि आदि मेरे साथ पहले भी दो तीन बार रह चुका है पर इस बार में ज्यादा घबराया हुआ था.. अब आदि समझने लगा है और अपनी पसंद और नापसंद को हर तरह से (रो कर, जिद करके) जाहिर भी करता है.. पता नहीं आदि कैसे रहेगा. मम्मी मम्मी तो नहीं करेगा.. वगैरह वगैरह.. पर आदि के साथ पहला दिन इतना अच्छा गुजरा की साड़ी चिन्ताए दूर हो गई..
सुबह आदि करीब नौ बजे उठा और जोर से आवाज लगाईं... "मम्मा, बाबा" वैसे अक्सर वो मम्मी को ही बुलाता है.. पर कल दोनों को साथ साथ बुलाया जैसे उसे पता हो की मम्मी चली गई है.. या जो भी आस पास सुन रहा हो मेरे पास आ जाओ.. ये सुन कर भगा भागा आदि के पास गया.. और उसका मुस्कराता चेहरा देख खुश हो गया..
फिर शुरू हो गया आदि के फरमाइशो का दौर.. पहले यम यम.. (खाने की मीठी चीज), फिर साइकल, साइकल की घंटी खराब थी.. "बाबा बाबा.." आवाज लगाई और घंटी ठीक करके दी.... कुछ देर बाद बारी आई टेंट की.. वो भी लगा.. बस इसी तरह खेलते खेलते पूरा दिन निकल गया..
शाम को आदि को लेकर मार्केट गए.. यम यम का कोटा ख़त्म हो रहा था... तो वो भी लाना जरुरी था.. रास्ते में बैलून देखे तो वो भी ले लिए.. कार वाला झुला भी झुलाया.. और फिर साबुन के बुलबुले बनाने वाला भी ले आये.. तो कुल मिला कर आदि के साथ पहला दिन शानदार रहा.. और शाम होते होते चिंता छूमंतर हो गई...