कल मेरे खिलौने निकालते हुऐ मम्मी मे ये प्ले हाऊस निकाला... और इससे बनी एक प्यारी सी ’हट’... पर मेरी नजर ’हट’ पर कम इसके डिब्बे पर ज्यादा थी...
और जैसे ही मौका मिला मैं इस डिब्बे को लेकर रफुचक्कर होने की कोशिश करने लगा...
हालाकिं इसकी साईज मुझसे डबल है, पर क्या फर्क पड़ता है.. ताकत तो मुझमें ज्यादा है न
ये देखो!! है न मुझसे बड़ा? और जरा एक नज़र पिछे लगी दिवार घड़ी पर डालो.. सही पहचाना आपने १० बजे हैं... पर ये दिन के नहीं रात के दस बजे है!!! हा हा हा..
और इसे ले जाकर क्या किया.. आप देखिये...
ये प्यारी सी ’हट’ (फोटो में दिख रही है रेड कलर कि) रितु आंटी लाई थी मेरे लिये.. मेरा जन्म दिन का उपहार..
थेंक्यु रितु आंटी!!
बहुत शरारती होते जा रहे हो बेटा, चलिये ममी पापा को भी एक सुंदर सा खिलोना मिला है.
ReplyDeleteबहुत बहुत प्यार
बहोत अच्छा ..........प्यारा सा नतखत सा आप हो ...
ReplyDeleteछोटी उम्र, बडे इरादे।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
इरादे बुलन्द है आदि जी के :) लगे रहो दिन हो या रात शरारतों में क्यों कि फिर यह दिन नहीं वापस आने वाले :)
ReplyDeleteतुम तो गत्ते से ही खुश हो प्यारे। अन्दर वाला गेम हमें ही दे दो! :)
ReplyDeleteसोये नहीं हट के अंदर..थक गये होगे, आराम कर लो. :)
ReplyDeleteअरे वाह ! ऐसे ही खूब शैतानियाँ करा करो , बड़ा मजा आता है तुम्हे शेतानियाँ करके और हमें फोटो देखकर |
ReplyDeleteशाबाश, one should think big.
ReplyDeleteo le beta ji .....koi nahin samjh raha ! aapko to "gatte" se khelne me maja aa raha hai , hai naa ! aur "ghar ghar "khelne ke liye abhi mummy papa ko kahti hoon...theek hai !
ReplyDeletechalo papa mummy mere bete ke sang "ghar ghar "khelo tab dekho aadi kitana khush hota hai . aur haan reetu aunty ko bhi bulana aur hame batana ki kaisa laga :)
हट का क्या करोगे? अंकल को दे दो :)
ReplyDeleteबहादुरी से लिए खड़ा।
ReplyDeleteआदि छोटा,डिब्बा बड़ा।
vah bete.. bahut khoob.. :)
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