कल मेरे ब्लोग पर रतन अंकल के कमेंट्स का सैकड़ा पुरा हुआ..
थेक्यु रतन अंकल!!
शरारत ऑफ द डे कल शाम पापा के साथ मार्केट घुमने गया.. समान ले पापा ने मुझे काउन्टर पर बैठाया और बिल बनवाने लगे.. और मैं काउन्टर पर बैठ सामान, मोनिटर पर अपनी निगाह और हाथ आजमा रहा था.. उस दुकान में मुरमुरे नहीं थे और पापा ने कहा कि आप पास कि दुकान से लाकर दे दो.. तो उधर से जबाब मिला कि नहीं अभी कोई आदमी नहीं है जो वहाँ से ला दे.. पापा ने कहा ठीक है आप इसे (आदि को) दो मिनिट रखो... तो उधर से सुनने को मिला.... "गोपाल...... पास से एक मुरमुरे का पैकेट लाना!!!!" अब आप बताओ मैनें काउन्टर एसा क्या किया? |
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आदि कि शैतानी ने मुरमुरे लाने को मजबुर किया ।
ReplyDeleteपर आदि प्यारा है ।
बेचारा, मुरमुरे वाला...हा हा!! बहुत बदमाशी चल रही है आजकल. सही है..
ReplyDeleteदुकानदार की शामत आई थी जो तुमको बैठाता?:)
ReplyDeleteशाबास, अब रवां होने लगा है तू.
रामराम.
are kahin dukaan vale ne "aadi" ko "rudra " to nahin samajh liya ?
ReplyDeleteहूँ, बदमाशी भी खेल भी।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अरे आदि इतने बडे शारारती बन गये की गब्बर अंकल की तरह से ५० ५० कि मी तक सारे दुकान दार तुम से डरने लगे:)
ReplyDeleteओर यह छुपा छुपी का खेल अच्छा लगा.
प्यार
दुकानदार ने तुम्हे झेलने के बजाय मुर मुरे मंगवाना ही ज्यादा उचित समझा |
ReplyDeleteबेटा आपने या तो मॉनिटर को पकड़ लिया या फिर बिलबुक खींचकर उसमें कुछ लिखने की कोशिश की, बेचारा दुकानदार!!
ReplyDeleteउसे आपकी शेतानी सहने से ज्यादा अच्छा लगा कि मुरमुरे मंगा दिये जायें।
वैसे छुपा-छुपी वाला खेल बहुत पसन्द आया।
जीते रहो
:)
सवाल तो अच्छा किया आपने .... "अब आप बताओ मैनें काउन्टर एसा क्या किया?"
ReplyDeleteअब आपने एक दो चीजें तो उठाकर नीचे फेंकी ही होगीं तभी तो काउंटर वाला घबरा गया ....वैसे आपके पापा ने भी चालाकी भरा फैंसला लिया .....!!
क्या मजाल...मुरमुरे गोपाल तो क्या, दुकान वाले का बाप भी लाकर देता...मजाक समझा है क्या.
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