कहानी में टिविस्ट.. वॉकर आता इससे पहले ही कहानी में टिविस्ट आ गया.. हुआ यूँ कि मेरी खाँसी दिखाने हम कल शाम डॉ घटक के क्लिनिक गये.. और खाँसी के साथ और भी कई बाते डॉ अंकल से की बातों ही बातों में ही उन्होने कहा "मैं बच्चों को वॉकर recommend नहीं करता, इससे बच्चों के पैरों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, और कभी-कभी पैर मुड भी जाते है, अगर इस्तेमाल भी करना हो तो १०-१५ मिनिट से ज्यादा नहीं" पापा ने डॉ अंकल से कहा कि हम तो वॉकर खरीदने की सोच ही रहे थे.. तो डॉक्टर अंकल ने कहा "इसकी कोई जरुरत नहीं है, बच्चा ऐसे ही चलना सीख लेगा" इस सलाह के बाद मेरे वॉकर खरीदने का आइडिया रद्द हो गया... अब मैं वॉक तो करुगां पर बिना वॉकर के..
एक बात और, मैं अभी भी आगे की और crawl नहीं करता हूँ..पीछे सरपट जाता हूँ..डॉ अंकल ने कहा कि कई बच्चे crawl नहीं करते सीधा चलना सीखते है, चिन्ता कि कोई बात नहीं..
उसी दिन उडन तश्तरी अंकल ने कहा "कुण्डली में देखना तो बबुआ के बाल घने कब होंगे?? :)" कुण्डली तो नहीं दिखाई पर डॉ से ही पूछ डाला और साथ में जोडा कि तेल वगैरह से कुछ फायदा होगा क्या.. डॉ अंकल ने कहा कि "इसकी त्वचा तेलीय है, और बालों में तेल लगाने से डेंड्रफ हो सकता है और उसके अपने नुकसान है" उन्होने ये भी कहा कि "सर पर तेल लगाने और बालों के बढ़ने का कोई वैज्ञानिक संबध नहीं है, आप चिन्ता नहीं करें बाल वैसे ही घने हो जायेगें"..
वैसे बालों का कम घना होना मेरे लिये ठीक ही है.. क्योंकि मेरे बाल पहली बार तभी कटेगें जब मैं तीसरे साल में प्रवेश करुंगा.. हमारे यहां इसे "झडोला" कहते है.. तो घने बालों के साथ एक-डेढ साल और गुजारना कठिन होगा...
अरे इतनी बातों में ये तो बताया ही नहीं की खाँसी का क्या.. तो डॉ अंकल ने कहा की ये मौसमी है, मेरी पहनी सर्दी है इसलिये, कुछ खास नहीं बस कुछ दिन पीने की दवा और लेनी होगी...
आया न प्यार मुझ पर? बन जाओ मेरे सखा.. यहाँ चटका लगा कर!!
देखना तुम वाल्क थोड़े ही करोगे तुम तो सीधा रन करोगे. पीछे पीछे मम्मी या फ़िर पापा. उधम भी बढ़ जायेगी. मम्मी से बोलना की हर चीज तुम्हारे पहुँच के बहार ऊंचाई पर रखे नहीं तो तुम्हें वे सब ललचायेंगे. अच्छा किया जो वाकर नहीं आया. बाय बाय फ़िर मिलेंगे.
ReplyDeleteअरे वाह बेटा, अब खडे भी होना सीख गये, बेटा हम ने भी दो पलटू पाले है, बस उन से तजुर्वा हो गया, पहले पहल हम भी सब बातो से अन्जान थे, ओर हां अगर तेल की मालिस करनी हो तो नहाने से एक दो घंटे पहले तेल लगा तो फ़िर नहाओगे तो ऊपरी तेल खुद ही साफ़ हो जायेगां.
ReplyDeleteअरे बेटा बाल भी खुब आयेगे, फ़िक्र मत करो.
प्यार ओर प्यार
अरे वाह खड़े होना सीख गए तो चलना भी अपने आप सीख जावोगे वाकर वुकर की जरुरत ही नही पड़ेगी, हम भी तो बिना वाकर ही चलना सीखे थे उस ज़माने वाकर की जगह रेडूला होता था जो गांव का खाती लकड़ी का बना कर देता था उसमे पैरों पर कोई साइड इफेक्ट भी नही पड़ता था ! रेडूला शायद तुम्हारे जोधपुर में भी मिल सकता है |
ReplyDeleteघूमो बेटा घूमो..
ReplyDeleteखूब घूमो, बाद में पापा-मम्मी को घुमाना.. :)
वाह! ठुमुकि चलत रामचन्द बजत पैजनियाँ!
ReplyDeleteअरे आदित्य, तुम भी खड़े होने की कोशिश कर रहे हो.. बहुत अच्छा है. अच्छा हुआ तुमने बता दिया वाकर के साइड इफेक्ट्स. हम भी लवी के लिए लाने वाले थे वाकर. पर अब नही लायेंगे. थैंक यू आदित्य.
ReplyDeleteबहुत अच्छा बेटे.....खूब मस्ती करो...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया। देखते ही देखते दौड़ने लगोगे।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
बहुत बढिया आदित्य ! ऐसे ही तरक्की करते रहो . प्रमोशन पर प्रमोशन !
ReplyDeleteबहुत बढिया भाई पल्टू. जब तू खडे होकर चलना सीख जायेगा ना, तब मैं तेरा नाम पल्टू से बदल कर कुछ दूसरा कर दूंगा. क्योंकि तब तू पल्टियां मारना तो छोड ही देगा.
ReplyDeleteतो अब मैं सोचता हूं तेरा स्कूळ जाने तक का अगला नाम क्या निकालू. तुझको कुछ पसंद हो तो बताना.:)
रामराम.
चलो, तीन साल में बाल कटना है फिर तो ठीक है. हमारे यहाँ इसे मुंडन कहते हैं.
ReplyDeleteमेरे चाचा का बेटा भी crawl करने में पीछे ही भागता था मगर जब चलने लगा तो बाद में, १०० मीटर का चैम्पियन बना अपने डिस्ट्रिक्ट का. तुम भी बनना पूरे देश का, हम लोग बहुत खूश होंगे.
बहुत आशीष अपने प्यारे बबुआ को. मम्मी से नजर उतरवाये कि नहीं? :)
" hiiiiiiii आदि खडे भी होना सीख गये.....वो भी मुस्कुराते हुए....सुंदर लग रहे हो हमेशा की तरह ....धीरे धीरे चलना ओके गिरना नही....."
ReplyDeletelove ya