दो तो दिसंबर में ही आ गये थे.. बाकि का इंतजार तब से था..अब आयेंगे, अब आयेंगे.. अरे भाई, आखिर कब आयेंगे ये... कोई कितना इंतजार करे... एक तो कब से झांक रहा था.. पर आ नहीं रहा था.. अरे आप आओ तो कुछ और काम करें.. आपको पता नहीं मुझे आपकी कमी कितनी खलती है... आपको कितना मिस करता हूँ.. और आपके इंतजार में क्या-क्या कर रहा हुँ मैं.. अरे अब तो बहुत सुरसरी मच रही है.. आओ न, आ जाओ न.. कोई समय तो दिया नहीं... अरे आपके न होने से कितने काम रुक रहे है पता है आपको?
आया समझ, किसका इंतजार था मुझे? अरे मुझे इंतजार है अपने दांतो का और कल मेरे श्रीमुख में तीसरे महानुभव तशरिफ लाये... इस बार ऊपर वाला दाँत.. अरे ऐसे समझाना मुश्किल होगा आप तो ये 'dental map' देख लो...
इतने दिनों से बेचारे निचले वाले दांत अकेले थे, अब उनका एक साथी और आ गया....इससे मेरी पकड़ और भी मजबुत होगी न? ;-)).
" तो नया दाँत.. आने की खुशी मनाई जा रही है.....एक फायदा तो होगा बेटा की काटने में आसानी होगी है न हा हा हा हा हा "
ReplyDeletelove ya
अब तो और मजा आयेगा कान काटने में.. :)
ReplyDeleteबधाई हो बेटे!!!!
ReplyDeleteस्वागत. मुखारविंद में कुछ इंतज़ार करवा के आया नया मेहमान. कोई तकलीफ तो नही दे रहा है?
ReplyDeleteफ़िर अब तो काटना दुगुना हो जाएगा !
ReplyDeleteबेटा पल्टू अब आयेगा मजा पापाजी के कान को.
ReplyDeleteआखिर अब तक एकेला दांत क्या करता? अब जरा धर के दबाना. :)
रामराम.
दांत और कान काटने को क्यों जोड़ा जा रहा है। दांत देखने में कितने सुन्दर लगते हैं।
ReplyDeleteबच्चू अब तो तेरे से बचना होगा, जिसे एक बार पकड लिया, बिना काटे मत छॊडियो, उसे भी तो नानी याद आ जायेगी...
ReplyDeleteप्यार ओर प्यार
बहुत खूबसूरत
ReplyDelete