बुजुर्गों ने,
बुजुर्गों ने, फरमाया की पैरो पे अपने खडे़ होके दिखलाओ,
फिर ये जमाना तुम्हारा है..
जमाने के सुर ताल के साथ चलते चले जाओ
फिर हर तराना तुम्हारा फसाना है
अरे तो लो भईया हम
हम अपने पैरो के ऊपर खडे़ हो गये
और मिला ली है ताल
दबालेगा दांतो तले उंगलिया, लिंया
ये जमाना देखकर अपनी चाल
वाह वाह वाह वाह धन्यवाद...
आग्रह - कल अचानक से मेरे सखा 40 से घट कर 25 हो गये.. पहले तो लगा अरे इतने दोस्त अचानक कहां चले गये..पर शाम होते होते आशीष अंकल ने बताया कि ये ब्लोगर के तकनिकी कारण है और उसका समाधान यहां बताया.. देर रात तक ये संख्या 30 हो गई.. देख लिजिये आप तो मेरे सखा की सुची में हैं न?
मेरे सखा बनने के लिये यहां चटका लगायें
सही अब यह ज़माना तुम्हारा है :) और हमने चेक कर लिया हम आपकी दोस्त लिस्ट में हैं
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई हो !!!!
ReplyDeleteअरे वाह इतनी जल्दी पैरो के ऊपर खड़े हो गये.. हमसे तो पापा कह कह के तक गये थे की कब अपने पैरो के ऊपर खड़े होगे
ReplyDeleteहम तो आपके सखा ऑलरेडी है जी.. वो तकनीकी खामी को पकड़ लिया था अपुन ने..
" की पद घुंघरू बाँध मीरा नाची.....और आदि नाचे बिन घुंघरू के..............वाह बेटा जी......बधाई हो...."
ReplyDeleteLove ya
अच्छी बात है भैय्या जी कम से कम आप अपने पैरो पर जल्दी खड़े हो गए है अच्छा लगा पढ़कर ...
ReplyDeleteबहुत बधाई पैरों पर खडे होने की. भाई हम आपकी प्रसंशक लिस्ट मे मौजूद हैं. सो कोई चिता नही है.
ReplyDeleteऔर हां यार पल्टू, कल हमारे ब्लाग पर तेरी फ़ोटो छापेंगे तेरे पापा जी के ईंटर्व्यु के साथ. जरुर देखना पल्टू. वही फ़ोटू है जो हमने तेरे घर पर १४ फ़रवरी को खींचीं थी.
रामराम.
बहुत अच्छा किया. मुबारक. अब अगला क़दम, चलना है.. और चलकर तुम्हें बहुत दूर जाना है.
ReplyDeleteअरे पलटू बेटा , बहुत अच्छा, अब एक आधा टूमका भी दिखा दो बेटा, शावाश बेटा अब कुछ ही दिनो मे बिना सहारे के खडे होना
ReplyDeleteप्यार ओर प्यार