मंगलवार की दोपहर को सोसाइटी में कीर्तन होता है.. और भी आंटी के साथ मैं भी पहुँच जाता हूँ.. पता है अब सोसाईटी में सभी मुझे जानने लगे है.. और मजे कि बात ये की वो मम्मी को नहीं पहचानते.. और मिलते है तो कहते है.."अच्छा आप हो आदि की मम्मी".. खैर कीर्तन की बात करते करते मैं कहां पहुँच गया.. अरर्रे... पहुँचने की बात पर याद आया... कि आपको एक बात तो बताई ही नहीं... ये पापा भी न... पता नहीं क्यों फोटो और विडियो का इंतजार करते रहते है.. अच्छा बात ये है कि अब मैं आगे भी चलने लगा हूँ.. हाँ हाँ बाबा crawl करने लगा हूँ.. और मारवाड़ी में कहें तो "गोडालिया" चलने लगा हुँ.. बस कुछ ही दिन हुऐ.. मेंढ़क को फुदकते देखा है कभी? वैसे ही फुदक के चलता हूँ मैं.. और कल शाम को मम्मी कह रही थी.."ये आदि out of control हो रहा है..:" अब आप ही बताओ जब चलना सीखा है तो चलुँगा न? मुझे पता है मम्मी तो यूँ ही कहती है.. मुझे उछलता देख बहुत खुश होती है.. और पापा को आवाज लगाती है..."रंजन देखो ये आपका पुतर क्या कर रहा है..?"
चलने को तैयार...
फिर भटका दिया न.. तो मैं कह रहा था कि मंगलवार को कीर्तन में गया था.. और वहां ढोलक मंजीरे सुन बहुत मजे लिये.. सबकी गोद में गया .. और खास कर उनकी जिनके हाथ में प्रसाद था.. अब कीर्तन में जायें और प्रसाद भी न खायें.. ये क्या बात हुई भला.. मैं अपना प्रसाद तो खाता ही हूँ.. और कोई दे तो भी प्रसाद का क्या मना करना..
" वाह आदि...............जीते रहो बेटा......आज तो दिल खुश हो गया .....मेरा नन्हा सा बेटा मन्दिर मे बैठा एक दम क्रष्णा लग रहा है......."
ReplyDeleteLove ya
अरे फुदकते फुदकते ही तो चलना सिखोगे ! इसलिए फुदकते रहो !
ReplyDeleteवाह भाई पल्टू भाई, पूत के पांव पालनॆ मे ही दिखनै लाग रे सैं?
ReplyDeleteअभी से तू आदि होगया और मम्मी की पहचान हो गई - ये आदि की मम्मी हैं?:)
खूब उन्नति करेगा तू. बहुत आशिष और लगा रह.
रामराम.
ये तो मम्मी पापा के लिए खुशी क़ी बात है क़ी उन्हे उनके बच्चो के नाम से पुकारा जाए.. बड़े होकर भी भूलना मत..
ReplyDeleteसही जा रहे हो प्यारे। बिना प्रसाद कीर्तन का कोई मजा नहीं!
ReplyDeleteऊपर वाली टी शर्ट धाँसू है छुटके...... .वैसे लिलिपुट में ७० प्रतिशत ऑफ़ की सेल चल रही है तुम गए ?
ReplyDeletewaah bahut khub crawl bhi krne lage,aur bhagwanji ka dhan bhi bahut achhe aadi baba.
ReplyDeletebilkul mere mann ki tarah lagte ho tum. bahut hi pyaare ho tum islie sabke dulare ho tum..
ReplyDeleteहमारे यहाँ उसको नए पैर उगना कहते हैं...तुम खूब चलो आदि...ऐसे ही सब कुछ नाप लेने का मन करता है. इस घुडकने वाले फोटो में बहुत प्यारे लग रहे हो.
ReplyDeleteप्रसाद तो है ही ऐसी चीज-दूसरों का भी खा लो तो चलता है. :)
ReplyDeleteबड़ी खुशी हुई सुन कर कि अब पलटू राम का प्रमोशन फुदकु राम हो गया है. जरा संभल कर फुदकना-कहीं चोट न लग जाये.
बहुत बढ़िया ब्लॉग है यह ...मासूम और सच्चा
ReplyDeleteजीते रहो बेटा ऐसे ही नाम रोशन करते रहो
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