4 March 2009
घर के पास ही मेट्रो स्टेशन है, एक नहीं दो-दो.. गलियारे और बालकानी में खडें हो तो "मेट्रो रानी" सर्राटे से भागती दिखती है.. पर मुझे मेट्रो में घूमाने अब तक कोई नहीं ले गया...:)
पुखराज भैया कि बहुत इच्छा थी मेट्रो में बैठने की, दिल्ली आये और मेट्रो में नहीं बैठे, क्या कहेगें गाँव में जाकर!! उनके गाँव जाने का समय करीब आ रहा था, पर पापा इन दिनों अक्सर टूर पर रहते है और वक्त ही नहीं निकाल पा रहे थे.... आखिर जब 4 मार्च को पापा कन्याकुमारी गये हुये थे तो हमें मेट्रो घूमाने का जिम्मा मम्मी ने उठाया.. मम्मी मुझे और पुखराज भैया को साईकल रिक्शा पर ले द्वारका सेक्टर १२ मेट्रो स्टेशन पर गई, मैं तो साइकल रिक्शा पर पहली बार ही सवारी कर रहा था, और ज्यादा जानता नहीं हूँ, आपको ज्यादा जानकारी ज्ञान अंकल
यहां दे रहे हैं..
साईकल रिक्शा की सवारी के बाद हम मेट्रो स्टेशन पहूँचे, मम्मी ने केवल पुखराज भैया का टिकट लिया, मैं तीन फीट से छोटा हूँ इसलिये फ्री..
मम्मी ट्रेन अब आयेगी?
कौन तेज होर्न बजाता है, मुकाबला मेट्रो से..
बहुत मुश्किल से जगह मिलती है बैठने को, खैर पैसे गिन लूँ, वापसी का टिकट तो दिलाना है न?
मेट्रो की पहली यात्रा द्वारका स्टेशन पर जाकर खत्म हुई....
-:खुशखबरी:-
स्कोर बोर्ड की गड़बडी से जरा देर से पता चला की समीर अंकल मेरे ब्लोग पर कमेंट्स का सैकड़ा लगा चुके है, शानदार १०७ कमेंट्स के साथ...
तालियां
और सीमा आंटी बस एक टिप्पणी दूर है शतक से....
दोनों को बहुत धन्यवाद!!!
THANK YOU SAMEER UNCLE!!!
THANK YOU SEEMA AUNTY!!!!!!